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दो दो पत्नियाँ

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एक समय की बात है किसी गांव में मोहन नाम का एक लड़का रहता था, मोहन की शादी सुहानी नाम की एक बहुत ही सुंदर लड़की से हुई थी, मोहन सुहानी से बहुत प्यार करता था। लेकिन सुहानी बहुत घमंडी और नकचड़ी थी। वो मोहन से नहीं बल्कि अपनी सुंदरता से प्यार करती थी। एक दिन मोहन काम से थका हारा अपने घर आया तो उसने सुहानी से कहा, सुहानी क्या खाना तैयार है, मुझे खाना दे दो सुहानी, बहुत भूख लगी है। खाना तो तैयार है, पर आप देख नहीं रहे, मैंने अभी अपने हाथों में मेंहदी लगाई है, आप खुद ले लीजिए। मोहन ने अपनी बीवी की बात सुनकर खुद ही खाना निकालकर खा लिया और वहां से चला गया, उसके बाद वो जब वो अगले दिन घर आया तो उसकी पत्नी ने उससे बोला, सुनिए जी, मुझे आप कल मेले लेकर जाना मुझे कई सारे गहने, कपड़े और सुंदर सुंदर सेंडिल खरीदनी है। सुहानी मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं जो मैं तुम्हें ये सब ख़रीदारी करवाउं। जो थोड़े बहुत पैसे हैं उनसे मुझे खेती के लिए बीज खरीदने हैं। ऐसा मोहन ने कहा। तभी सुहानी ने गुस्से में कहा आपके पास दुनिया को बांटने के लिए पैसे हैं पर मेरे लिए आपके पास पैसे नहीं हैं, हे भगवान मेरी शादी ऐसे कंजूस आदमी से ...

सिंड्रेला को मिली जादुई फ्रॉक!

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फूल नगर में एक सिंड्रेला नाम की एक लड़की रहती थी। सिंड्रेला के माता-पिता की मृत्यु उसके बचपन में ही हो गई थी। जिसके बाद सिंड्रेला अपनी नानी के साथ रहने लगी। सिंड्रेला की नानी के पास इतने पैसे नहीं थे की वो उसे अच्छे कपड़े और खिलोने लाकर दे सके। सिंड्रेला को हमेशा से ही एक लाल फ्रॉक खरीदने का सपना था लेकिन उसकी नानी बस इतना ही कमा पाती थी जिससे उन्हे रोज़ का भोजन मिल जाया करे। ये सब देखकर सिंड्रेला कभी अपनी नानी को इस बात के लिए परेशान  नहीं करती थी।  एक दिन सिंड्रेला ने रात के खाने के समय अपनी नानी से बोला की वो अपने छोटी उम्र के बच्चो को टूशन पढ़ाना चाहती है जिससे घर में मैं भी आपकी मदद कर सकू। सिंड्रेला की बात सुनकर उसकी नानी बात मान गई ।अगले दिन से ही सिंड्रेला ने छोटे छोटे बच्चों को पढ़ना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे करके सिंड्रेला के पास और बच्चें आने लगे। जिससे सिंड्रेला अच्छे पैसे कमाने लगी और अपनी नानी की और अच्छे से मदद करने लगी। ये सब देख सिंड्रेला की नानी ने बोला। अब जब हम दोनों साथ मिलकर घर चला रहे तो क्यों न क्रिस्मस के लिए तुम्हारे पसंद की एक अच्छी सी ड्रेस लेकर आई जाए। ये...

चलते फिरते इंसानी कंकाल

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नागपुर नाम का एक बड़ा ही पुख्यात गॉंव था। बहुत सारी ऐतिहासिक इमारतों और महलों के कारण उस गॉंव के चर्चे हर जगह होते थे। वहां हर दिन पर्यटकों का जमावड़ा रहता था। एक दिन शहर से समीर नाम का एक लड़का गांव की इन इमारतों और महलों के बारे में जानकारी जुटाने आया। समीर को गॉंव के रास्तों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी इसलिए वो एक गाइड को रख लेता है।पुरे दिन घूमने के बाद आखिर में बारी आती है घुंघरू महल की, लेकिन सूरज ढलने में ज्यादा समय नहीं होता और समीर गाइड को वहां जाने के लिए बोलता है। लेकिन गाइड वहां जाने से साफ़ मन कर देता है क्यूंकि कहा जाता है है की शाम ढलते ही उस महल में इंसानी कंकाल घूमते है। जिसको सुन समीर को बहुत तेज़ हंसी आ गई और वो अपनी हंसी रोक नहीं पाया।  गुइड को डरा हुआ देख ये फैसला हुआ की समीर अकेला ही अंदर जायेगा और गाइड उसके बाहर आने का इंतज़ार करेगा। जिसके बाद समीर अपना कैमरा पकड़े महल के अंदर चला गया। महल के अंदर जाते ही समीर तस्वीरें खींचने लग जाता है । तस्वीरें खींचते-खींचते उसे पता ही नहीं चलता की शाम हो चुकी है।  वही दूसरी तरफ बाहर से गाइड समीर को आवाज़ लगाता है।...

परी बनी चुड़ैल

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बादलों के बीचो बीच एक परीलोक था। वहां कई परियां एक साथ रहती थी। सभी परियां बहुत ही ख़ूबसूरत थी। उनमें से एक परी थी, जिसका नाम करिश्मा था।करिश्मा बाकी परियों से थोड़ी अलग थी। वो खूबसूरत तो थी ही पर उसकी आंखे दूसरी पारियों से बिलकुल अलग और सुंदर थी। उसकी आंखे बड़ी-बड़ी और बिल्ली की तरह भूरी थी। अपनी इसी बात पर करिश्मा को काफी घमंड था। आए दिन करिश्मा परीलोक में किसी न किसी से झगड़ ही लेती थी।उसकी इस हरकत से परियों की रानी  उससे मिलने आई। रानी ने उसे सबसे अकड़ कर बात करने से मना किया जिसपर करिश्मा ने कहा।  वो लोग मेरी खूबसूरती से जलते है। इसलिए आपके पास मेरी शिकायत करने आ जाते है।  उन्हें ये बात बिलकुल भी हज़म नहीं हो रही की मैं उन सबसे से इतनी ख़ूबसूरत कैसे हो सकती हूँ।  रानी ने करिश्मा को अपनी अकड़ को ठीक करने के लिए समझाया और उसे बात समझा-कर वहां से चली गई लेकिन करिश्मा पर रानी की बात का बिलकुल भी असर नहीं हुआ और वो अपने काम में लग गई । कुछ दिनों बाद रानी का जन्मदिन आया। पूरा परीलोक दुल्हन की तरह सजा दिया गया । सारे ऋषि मुनियों और देवताओं को रानी के जन्मदिन समारोह पर आमंत्रित...

डायन चली देने बच्चों की बली

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एक समय की बात है किसी गांव में 3 दोस्त रहते थे। अनुराग, सुजल और करन, वो तीनों बहुत बहादुर थे। अगर गांव वालों को कोई भी परेशानी होती थी तो वो तीनों दोस्त मदद के लिए सबसे आगे रहते थे, उनके गांव में सब कुछ ठीक चल रहा था, सब लोग मिलजुल कर रहते थे। एक दिन अचानक गांव में अजीब सी घटना घटने लगी। गांव के बच्चे एक एक करके गायब होने लगे, जो कि एक चिंता का विषय था। इसलिए सभी गांव वाले गांव के चौपाल पर इकट्ठा हुए और इस समस्या के समाधान के लिए बात करने लगे। कफी देर तक बात करने के बाद कारन ने गॉंव वालों को एक बात कही। क्यों न हम रात में पहरा दें। इससे बच्चों की सुरक्षा भी हो जाएगी, साथ ही हमें ये भी पता चल जाएगा कि बच्चे आखिर जाते कहां हैं? करन की बात सभी गांव वालों को ठीक लगी, और इस तरह से कभी अनुराग, कभी सुजल तो कभी करन तीनों गांव में पहरा देने लगे। और इस दौरान बच्चों का गायब होना बंद हो गया |  एक दिन सरपंच ने सभी गांव वालों को बुलाया और कहा जब से हमने अपने गांव में पहरे दारी करना शुरु किया तब से गांव के बच्चे कहीं नहीं जा रहे। लेकिन ऐसा कब तक चलेगा। कब तक हमारे गांव के आदमी रखवाली करते रहेंगें...

ख़ूँख़ार दानव

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एक गॉंव में एक बड़े ही ख़ूँख़ार दानव ने अपना आतंक फैला रखा था। वो रात में जब चाहे गाँव में घुस जाता था और इंसानों को अपना शिकार बना लेता था। उसकी इस खौफनाक हरकत से गॉंव का हर इंसान बहुत डरता था।इसलिए उसके आतंक से छुटकारा पाने के लिए सारे गॉंव वाले इकठे हुए। काफी देर तक बातचीत करने के बाद भी गॉंव वालो के पास कोई समाधान नहीं निकलता। उस विशाल दानव से लड़ने के लिए कोई भी सामने नहीं आ रहा था।दानव के सिर्फ नाम से ही गॉंव वालों के बीच दहशत फ़ैल जाती थी इसलिए उससे टकराने की हिम्मत कोई भी जुटा नहीं पा रहा था। बिना किसी समाधान के ही सारे गॉंव वाले अपने-अपने घर निकल जाते है। रोज़ की तरह खूंखार दानव गॉंव में आता है।  उसकी आहट सुनते ही सब अपने-अपने घरो के दरवाज़े बंद करके छुप जाते है। दानव ताज़ा मांस की तलाश में गॉंव के चक्कर लगाने लगता है तभी उसको इंसानी मांस की सुगंध आई। इंसान की सुगंध सूंघते-सुंघते दानव जंगल की ओर निकल जाता है। वहां जाकर वो देखता एक आदमी पेड़ के नीचे सो रहा है। उसे देख दानव बहुत खुश होता है। इतने में वो आदमी उठ जाता है और अपने सामने इतने विशाल दानव  को देखकर घबरा जाता हैं और अ...

भूत का मोक्ष

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एक समय की बात है किसी गांव में एक भूत रहता था, जो बेहद ही ज़्यादा खतरनाक था। एक दिन वो भूत नदी किनारे लोगों को डराने जा रहा था कि तभी वहां पर उसने किसी की चिल्लाने की आवाज़ सुनी। भूत जल्दी से उस आवाज़ की तरफ दौड़ा तो उसने देखा कि एक आदमी जिसका नाम अर्पित था। उसको चार चोर मार रहें थे और उससे उसका सामान छिन रहे थे। भूत वहां पंहुचा, और उन चार आदमियों से अर्पित को छोड़ने के लिए बोला। भूत को अपने सामने देखकर चारों चोर डर कर कांपने लगे और वहां से भाग गए। वही अर्पित भूत को देखकर डर से कांपने लगा। जिसे देख भूत ने अर्पित को फ़ौरन वहां से जाने के लिए बोला। जिसपर अर्पित ने उससे डरते हुए बोला तुम तो गांव के वही भूत हो ना, जो गांव वालों को परेशान करते हो? लेकिन आज तुमने मुझे उन चोरों से क्यों बचाया? अर्पित की बात सुन भूत गुस्से में आ गया और उसे वहां से जाने के लिए बोला। जिसे सुनकर अर्पित वहां से चला गया और भूत की बात पूरी रात सोचता रहा। वो भूत सभी गांव वालों को परेशान करता है, लेकिन उसने मेरी जान बचाई। अगर वो बुरा होता तो मुझे कभी नहीं बचाता यानी वो भूत अच्छा है। लेकिन वो गांव वालों को क्यों परेशान करता ...